पशुओं के लिए बारिश में संतुलित आहार जरूरी, 60% हरा और 40% सूखा चारा होना चाहिए
बरसात के दिनों में बीमार होने का रहता है ज्यादा खतरा, पशुओं का रखें ध्यान
बारिश के मौसम में पशुओं को कई तरह की – बीमारियां होती हैं। पशु विज्ञान केंद्र कैथल के मुख्य वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र सिंह श्योंकद ने कहा कि इस मौसम में पशुओं के रखरखाव पर विशेष ध्यान देना होता है। पशुओं को बरसात में संतुलित आहार दें, जिसमें 60% गीला/हरा चारा और 40% सूखा चारा होना चाहिए। गाय को 1 लीटर दूध उत्पादन के लिए 300 ग्राम और भैस को हर 1 लीटर दूध उत्पादन के लिए 400 ग्राम दाने का मिश्रण दें। जिन पशुओं को मुंह और खुर के टीके नहीं लगवाए हैं, सभी पशुओं को अपने नजदीक के पशु अस्पताल में टीके अवश्य लगवा लें।
बरसात के दिनों में हो जाते हैं कीड़े, रोज साफ करें खुरली
बरसात के दिनों में नमी, तापमान ज्यादा होने के कारण खुरली में फंगस व कीड़े हो जाते हैं, प्रतिदिन खुरली की सफाई करें। चारे के साथ फंगस पशुओं के पेट में जाएगा। ऐसे में चारे खाने से पशुओं का पेट खराब हो जाता है। जहां पशु बंधते हैं, ज्यादा गीला न होने दें। बाड़े में टीन या छत से पानी टपकता है तो बंद कर दें। उमस से बचाव को पंखे या कुलर का प्रबंध करें।
साफ सुथरा पानी पिलाएं
बरसात में जोहड़ व तालाब में गंदगी भी जाती है। पशुओं को साफ पानी पिलाएं। गर्मियों में पशुओं को कम से कम तीन बार पानी अवश्य पिलाएं और एक बार नहलाना भी जरुरी है।
हरे चारे का बना सकते हैं साइलेज
पशु विज्ञान केंद्र कैथल के मुख्य वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र सिंह श्योंकद ने बताया कि बरसात में ज्वार, मक्का और अन्य तरह के घास का साइलेज बना सकते हैं।
भैंसों के बयांत से दो से तीन माह पहले करें खास देखभाल
मुर्रा भैंसा का बयांत जुलाई, अगस्त में ज्यादा पड़ता है। बयांत से दो से तीन माह पहले भैंस के अलावा गर्भ में पल रहे बच्चे की खुराक का ध्यान रखें। खनिज मिश्रण जरुर दें। कटड़ा या कटड़ी के पैदा होते ही उसकी साफ सफाई कर भैंस के आगे डाल दें। एक घंटे बाद खीस या पहला दूध मां का पिलाएं। हाल के बच्चे को दोनों समय ढाई से तीन किलोग्राम दूध पिलाएं।